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17 Oct 2023 · 1 min read

*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*

हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं
**********************

हुई हम से खता,फांसी नहीं,
मिली है मौत पर माफ़ी नहीं।

बड़ी थी शौहरत जो खाक है,
सुनाई जो सजा काफ़ी नहीं।

खुदा बख्शा पिटारा रूप का,
परी सी सुंदरी दासी नहीं।

खिला यौवन भरी खुश्बू बलां,
किया ना पाप हम पापी नहीं।

मिटा दी साख दे कर दाग से,
खुई है आबरू यारी नही।

मिलाया हाथ मनसीरत कभी,
दिलाई जान की बाज़ी नहीं।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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