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11 Jun 2017 · 1 min read

हुई शर्म से लाल

किरणो ने जब सूर्य की,छुए भोर के गाल !
खिली रात की चाँदनी, .हुई शर्म से लाल! !

मैने उनका प्यार से,पूछ लिया क्या हाल!
नजरे नीची हो गई,. हुई शर्म से लाल! !

मैने उनकी उम्र के,पूछ लिए क्या साल!
लगी चबाने ओढनी,हुई शर्म से लाल!

हुई शर्म से लाल वो,मुख पर रखा रुमाल!
मैने उनके छू लिए, सहज जरा क्या गाल!!

चूमा पिय नें हाँथ मम , खाकर बाटी दाल !
हँसता पाया सास को , हुई शर्म से लाल !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 211 Views
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