हुआ हिमालय क्रोध में
हुआ हिमालय क्रोध में
हुआ हिमालय क्रोध में,
आंखें उसकी लाल|
हुआ वनों का दूहना,
मानव को न ख्याल||
मानव को न ख्याल,
जंगलों को रहा काट|
आपदाओं को नियंत्रण,
रहा विपत्तियां बांट||
विनोद सिल्ला कहे,
ये निशुल्क औषधालय|
पेड़ लगाओ खूब,
दिखे महकता हिमालय||
-विनोद सिल्ला©