हुआ नहाना ओस में
रिश्ता नाजुक प्यार का, ज्यों प्रभात की ओस !
टिके न ज्यादा देर तक, व्यर्थ करे अफ़सोस!!
हुआ नहाना ओस में ,.तेरा जब जब रात !
कोहरे में लिपटी मिली,तब तब सर्द प्रभात !!
रमेश शर्मा
रिश्ता नाजुक प्यार का, ज्यों प्रभात की ओस !
टिके न ज्यादा देर तक, व्यर्थ करे अफ़सोस!!
हुआ नहाना ओस में ,.तेरा जब जब रात !
कोहरे में लिपटी मिली,तब तब सर्द प्रभात !!
रमेश शर्मा