Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2021 · 2 min read

“हिसाब”

हिसाब

धनपत और मोहन आपस में अच्छे दोस्त थे। दोनों का जैसा नाम वैसा काम था।धनपत की इच्छा रहती कि मैं बहुत धनवान बन जाऊँ,लोग मुझे वास्तव में धनपत कहें,चारों ओर मेरा नाम हो,इज्जत हो और लोग मुझे सिर झुकायें।वह सदा इसी प्रयास में रहता कि बस रुपया आये इस हेतु वह रुपयों का बराबर हिसाब रखता तथा ब्याज का एक रुपया भी किसी पर नहीं छोड़ता।इसके विपरीत मोहन बिल्कुल उल्टा चलता पैसा कमाता अपना पेट भरता और बचे हुए पैसों से ग़रीब लोगों की मदद करता।घर में अधिक पैसा न होने से लोग मोहन को ताने मारते कि तुम्हारे मित्र धनपत को देखो।मोहन अक्सर हँसकर बात टाल देता,घर परिवार के लोग भी उसको ताने मारा करते परंतु वह दूसरों का भला करने में दृढ़ निश्चयी था।कभी-कभी सोचता कि मैं वास्तव में ग़लत तो नहीं कर रहा?और अक्सर यह सोचकर निराश भी हो जाता,परन्तु भला करना उसका स्वभाव था। धीरे-धीरे धनपत तो धनपति बन गया लेकिन मोहन एक आम आदमी बन कर रह गया।कुछ ही वर्षों में दोनों की मृत्यु हो गयी।धनपत को यमदूत एक लोहे की जंजीर में बेइज्जती से बाँधकर ले गये एवं मोहन को बड़े सम्मान के साथ यमलोक ले गये।यमराज के सामने प्रस्तुत हुए यमराज दूतों से बोले कि मोहन को बिना विचारे ही स्वर्ग भेज दो और उसके बच्चों को यश-कीर्ति व धन प्रदान करो जबकि धनपत के कर्मों का हिसाब तो होगा इन्हें कहाँ भेजना है? इसका निर्णय होगा। इस पर धनपत बोला,”महाराज! यह तो अन्याय है कि मोहन को आपने बिना विचारे स्वर्ग भेज दिया,किन्तु मेरे कर्मों पर आप विचार कर रहे हैं।”यमराज बोले,”इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?आपने जीवन भर बस पैसों का हिसाब किया है,तो मुझे तुम्हारे कर्मों का हिसाब तो करना पड़ेगा, इसके विपरीत मोहन ने जब अपने जीवन में कोई हिसाब ही नहीं रखा केवल दूसरों का भला किया है,तो फिर उसका हिसाब हम कैसे कर सकते हैं?इतना ही नहीं धनपत तुम्हारे कर्मों का फल तुम्हारे बच्चों को भी भोगना पड़ेगा।”यह कहकर यमराज पुनः बोले,”यहाँ कोई कुछ नहीं करता,जो जैसा करता है।वैसा भरता है,इसलिए तुम्हारा हिसाब तो होगा।”यमराज के इतना कहते ही चारों ओर मौन पसर गया।

मौलिकता प्रमाणपत्र
मैं प्रमाणित करता हूँ कि ‘कहानी प्रतियोगिता’ हेतु प्रस्तुत कहानी मौलिक,अप्रकाशित एवं अप्रसारित, हैं।
भवदीय-प्रशांत शर्मा ‘सरल’,नरसिंहपुर (म.प्र.)
मो 9009594797

5 Likes · 8 Comments · 833 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
कहानी
कहानी
Rajender Kumar Miraaj
जन्मदिन विशेष :
जन्मदिन विशेष :
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
ruby kumari
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
Suryakant Dwivedi
सफर ये मुश्किल बहुत है, मानता हूँ, इसकी हद को भी मैं अच्छे स
सफर ये मुश्किल बहुत है, मानता हूँ, इसकी हद को भी मैं अच्छे स
पूर्वार्थ
दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज
दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज
Sarfaraz Ahmed Aasee
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
कृष्णकांत गुर्जर
मुझे पता है तुम सुधर रहे हो।
मुझे पता है तुम सुधर रहे हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अंधेरे से लड़ो मत,
अंधेरे से लड़ो मत,
नेताम आर सी
बेचारे नेता
बेचारे नेता
गुमनाम 'बाबा'
हर घर में नहीं आती लक्ष्मी
हर घर में नहीं आती लक्ष्मी
कवि रमेशराज
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
ललकार भारद्वाज
4913.*पूर्णिका*
4913.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धड़कनें थम गई थीं
धड़कनें थम गई थीं
शिव प्रताप लोधी
बाबा भीम आये हैं
बाबा भीम आये हैं
gurudeenverma198
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
Sonam Puneet Dubey
"याद रखें"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
सोच रहा अधरों को तेरे....!
सोच रहा अधरों को तेरे....!
singh kunwar sarvendra vikram
🙅आज का आनंद🙅
🙅आज का आनंद🙅
*प्रणय*
पल में सब  कुछ खो गया
पल में सब कुछ खो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नन्हा मछुआरा
नन्हा मछुआरा
Shivkumar barman
अमीर
अमीर
Punam Pande
भावों का विस्तृत आकाश और कलम की बगीया
भावों का विस्तृत आकाश और कलम की बगीया
©️ दामिनी नारायण सिंह
तलाश
तलाश
Vandna Thakur
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
Neeraj Agarwal
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
Keshav kishor Kumar
ख्वाहिशे  तो ताउम्र रहेगी
ख्वाहिशे तो ताउम्र रहेगी
Harminder Kaur
*जुलूस की तैयारी (छोटी कहानी)*
*जुलूस की तैयारी (छोटी कहानी)*
Ravi Prakash
Loading...