हिसाब क्या रखना
जब इतने खूबसूरत पल बीते हैं तो
चंद सालों का हिसाब क्या रखना।
जिंदगी ने दिया है बहुत कुछ हमको,
जो नहीं मिला फिर उसका हिसाब क्या रखना।
प्यार मिला है दोस्तों से बेशुमार, फिर किसने की दुश्मनी, उसका हिसाब क्या रखना।
सूरज की रोशनी में उजाले है भरे पड़े,
फिर उसकी आग का हिसाब क्या रखना।
चंदा की चांदनी देती है सुकून मन को,
फिर उसमें दाग का हिसाब क्या रखना।
खुशी के कुछ पल ही काफी है जीने के लिए, अपने गमों का हिसाब क्या रखना।
फूल महकाते हैं हाथों को जरा सा मसल दें तो भी, फिर कांटों की चुभन का हिसाब क्या रखना।
उनका ख्याल ही बहुत है खाली दिल बहलाने के लिए, मिलने और मिलाने का हिसाब क्या रखना।
कुछ न कुछ तो अच्छा होता है सब के अंदर, फिर उनकी बुराई का हिसाब क्या रखना।