हिम्मत का सफर
सादर नमन 🙏💐प्रस्तुत कुछ पंक्तियाँ जिसका शीर्षक है “हिम्मत का सफर ”
मुश्किलें देख के मैं घबरा रहा था
सामना करूँगा कैसे,क़तरा रहा था
रास्ते में हर कदम काँटों से भरा था
मैं गिर के हरदम उठता जा रहा था
साया बनकर डर मेरे पीछे पड़ा था
मेरे हौसलों से वो मरता जा रहा था
दर्द की आँधियाँ सिद्दत से चल रही थीं
चराग़ हूँ मैं फिर भी जलता जा रहा था
फासले मंज़िल के दरमियाँ थे बहुत पर
हर कदम उम्मीद के बीज बोता जा रहा था
थामकर विश्वास की डोर को मैं मजबूत
सच कहूँ, मैं ख़ुद को भी आज़मा रहा था
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी ”
सनावद (मध्यप्रदेश )