हिन्द के बेटे
कितने ही जानलेवा हो वार
वो कोई भी वार झेल सकते हैं
मत भूलो, हिंद के बेटे हैं वो
अपनी मौत से खेल सकते हैं
एक पल खड़ा रहना जहां
मुमकिन नहीं इंसान के लिए
हिमालय पर मुस्तैद रहते हैं
वो दुश्मनों से लोहा लेने के लिए
खौफ खाते हैं दुश्मन
उनकी वीरता के अंदाज से
देश की रक्षा करने वाले
डरते नहीं युद्ध के अंजाम से
उनको तो सपने भी आते हैं
मां भारती की पावन मिट्टी के
आज भी इंतज़ार में रहते हैं
वो अपनों की एक चिट्ठी के
हर पल वो तैयार रहते हैं
अपना सर्वस्व देश पर
न्यौछावर करने के लिये
कसम खा रखी है उन्होंने
कुछ भी कर जाएंगे वो
देश की सुरक्षा करने के लिए
किस गोली पर लिखी है मौत उनकी
इस बात की उनको कोई परवाह तक नहीं
हंसते हंसते कुर्बान हो जाते हैं देश के लिए
निकलती उनके मूंह एक आह तक नहीं।