हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा,अब तू क्यों गलियारे में।
गीत_ हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा,
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हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा,अब तू क्यों गलियारे में।
लगा घोलने जहर बहुत आपस के भाई चारे में।
हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा,अब तू क्यों गलियारे में।
होली और दिवाली मनती, कितने बिखरे रंग यहाँ।
ईद मनाएं सब मिल जुलकर,नहीं किसी से रंज यहाँ।।
पड़े ना लोहड़ी यहाँ पे फीकी,सिखों के गुरुद्वारे में।
लगा घोलने जहर बहुत आपस के भाई चारे में।
हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा…..
नहीं कोई ग़द्दार यहाँ पर, वतन के सच्चे हैं प्रहरी।
वन्देमातरम सब मिल बोलें देशभक्ति इतनी गहरी।।
भगत सिंह अशफ़ाक के देखो, इंकलाब के नारे में।
लगा घोलने जहर बहुत आपस के भाई चारे में।
हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा,……
मत भूलो वो खूनी मंज़र जब अपनों को खोया।
इतना लहू बह धरती पर,देख विधाता रोया था।।
नफरती बीज़ यो बोया था,क्या मिला हमें बंटवारे में।
लगा घोलने जहर बहुत आपस के भाई चारे में।
हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा……..
मस्जिद में कहीं इबादत हो,मंदिर में पूजा की थाली।
राम बसों हर हिन्दू के दिल,अल्लाह करता रखवाली।।
दोनों नाम एक ही ठहरे, पुजते हैं जग सारे में
लगा घोलने जहर बहुत आपस के भाई चारे में।
हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा,अब तू क्यों गलियारे में।
लगा घोलने जहर बहुत आपस के भाई चारे में।
हिन्दू मुस्लिम करता फिर रहा…..
✍शायर देव मेहरानियाँ _ राजस्थानी
(शायर, कवि व गीतकार)