Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2023 · 1 min read

हिन्दी

हर क्षेत्र यहा व्यवहारिक है, बस कुछ सख्तायी रखनी है।
हिन्दी जन-जन की भाषा है, बस इच्छा शक्ति रखनी है।।

बोल चाल मे सबसे पहले, अब हिन्दी को ही रखना है।
शब्दकोश है बहुत विशाल, बस याद हमे ये रखना है।।

हर क्षेत्र मे हमको अब, हिन्दी का प्रयोग ही करना है।
हर जगह अब सबसे पहले, सम्मान हिन्दी का करना है।।

सूचना पट से निकाल हमे, व्यवहार मे हिन्दी लानी है।
निजी क्षेत्र हो या सरकारी, हर क्षेत्र मे हिन्दी लानी है।।

सर का ताज बनाकर हमको, हिन्दी की अलख जगानी है।
ज्ञानी हो अज्ञानी हो, अब हिन्दी की ज्योत जगानी है।।
=================================
“ललकार भारद्वाज”

70 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ललकार भारद्वाज
View all
You may also like:
जीवन से तम को दूर करो
जीवन से तम को दूर करो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
इस दिल बस इतना ही इंतकाम रहे,
इस दिल बस इतना ही इंतकाम रहे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हक जता तो दू
हक जता तो दू
Swami Ganganiya
तुम जुनून हो
तुम जुनून हो
Pratibha Pandey
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
जिंदगी को जीने का तरीका न आया।
Taj Mohammad
हम तुम और इश्क़
हम तुम और इश्क़
Surinder blackpen
*सपोर्ट*
*सपोर्ट*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
वो मेरी कविता
वो मेरी कविता
Dr.Priya Soni Khare
मैं मोहब्बत हूं
मैं मोहब्बत हूं
Ritu Asooja
मजदूरों से पूछिए,
मजदूरों से पूछिए,
sushil sarna
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
वह बचपन के दिन
वह बचपन के दिन
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
अच्छे दिनों की आस में,
अच्छे दिनों की आस में,
Befikr Lafz
बीहनि कथा-
बीहनि कथा-"अंडरवियर"
मनोज कर्ण
"सफर,रुकावटें,और हौसले"
Yogendra Chaturwedi
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि पर केंद्रित पुस्तकें....
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि पर केंद्रित पुस्तकें....
Dr. Narendra Valmiki
दिल से
दिल से
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"बन्धन"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
Kalamkash
मुखौटा!
मुखौटा!
कविता झा ‘गीत’
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
सिद्धार्थ गोरखपुरी
माँ दहलीज के पार🙏
माँ दहलीज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
Chaahat
मेरे भाव मेरे भगवन
मेरे भाव मेरे भगवन
Dr.sima
हमारा संघर्ष
हमारा संघर्ष
पूर्वार्थ
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
*अभिनंदनीय हैं सर्वप्रथम, सद्बुद्धि गणेश प्रदाता हैं (राधेश्
*अभिनंदनीय हैं सर्वप्रथम, सद्बुद्धि गणेश प्रदाता हैं (राधेश्
Ravi Prakash
#हिंदी-
#हिंदी-
*प्रणय प्रभात*
Loading...