हिन्दी
मन मेरा हिंदी
तन मेरा हिंदी
नाड़ी में दौड़ता
रक्त भी हिंदी
श्वांस मेरी हिंदी
दृष्टि मेरी हिंदी
हृदय के अंदर
स्पंदन भी हिंदी
भोर मेरी हिंदी
संध्या मेरी हिंदी
आठों पहर की
बेला भी हिंदी
निशा मेरी हिंदी
निद्रा मेरी हिंदी
रात जो आएं
स्वप्न भी हिंदी
इति।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्य प्रदेश)
14।09।2021