हिन्दी दिवस
मेरी पसंद
तेरी पसंद
हम सबकी पसंद
कुण्डलिया छंद
खाकर मूल कंद
खिल उठे मकरंद
महसूस हमेशा आनंद
जठराग्नि होगी मंद
गर खाया शकरकंद
आलू भी वही कंद
शूगर वाले करें बंद
पोस्ट हो पसंद
मत मुस्कुराओ मंद मंद
आदमी है बड़ा अकलमंद,
रही नहीं कोई संद,
जमती है संसद,
करना चाहते है बंद,
कैसे रहोगे स्वच्छंद,