Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Aug 2018 · 2 min read

” हिन्दी एक तारीख बन गयी “

हिंदी दिवस औपचारिक समारोह का प्रतीक बनकर रह गया है, सरकारी संस्थानों में बस हिंदी दिवस के दिन हिन्दी की बदहाली पर झूठी सक्रियता आती है, इस अवसर पर बुद्धिजीवी, राजनीतिज्ञ, पंडित, लेखक सभी समारोह में शामिल होकर भाषणबाजी करते हैं, सभी लोग हिंदी की दुर्दशा पर अफसोस करते हुए सुधार करने की शपथ लेते हैं और रात होते ही अंधेरे की तरह इस वादे पर अंग्रेजी की काली चादर डाल सब भुला देते हैं।
हिन्दी वास्तव में कभी हिंदुस्तान की भाषा बन ही नहीं सकी, भारत के पूर्ववर्ती शासकों ने हिंदी को एक ऐसा राजनीतिक मुद्दा बना दिया कि वह उत्तर और दक्षिण के विवाद में फंस कर गेहूं की तरह पिसकर रह गयी,
हिंदी की दुर्दशा पर घडियाली आंसू बहाने वालों का सारा अनौपचारिक कार्य अंग्रेजी में होता है, ये गद्दार “अंग्रेजी की रोटी खाकर हिंदी से हाथ पोंछ लेते हैं”।
आज़ादी के पहले हिंदी पूरे देश की भाषा थी, इसका स्वरूप जनभाषा का था, किंतु स्वतंत्रता के बाद हिन्दी को राजभाषा की गद्दी पर बिठाया गया और यह केवल सरकारी हिन्दी बनकर रह गई, हमारी भाषा व्यावहारिक से अव्यावहारिक बन गई उसका वर्तमान स्वरूप आज उपहास का विषय बनकर रह गया है।
हिंदी भाषी राज्यों में ही हिंदी की ज्यादा दुर्गति हुई, यह निर्जीव हो गई आज हिंदी हीन भावना से ग्रस्त है, वर्तमान समय में कुलीनतावाद की शिकार हो गयी है।
भारत में शिक्षा के पश्चिमी ढांचे को स्वीकार कर लिया है, जिससे हिंदी की यह स्थिति है।
आज जरूरत है कि क्षेत्रीयता की भावना से ऊपर उठ कर सभी भाषाओं के बीच समन्वय एवं संवाद कायम करते हुए राष्ट्रव्यापी सक्रियता के साथ मानसिक रूप से हिंदी को स्वाधीन बनाया जाए,
इसके अलावा सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक स्तर पर भी प्रयास करने की जरूरत है।

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 366 Views

You may also like these posts

मन का कारागार
मन का कारागार
Pooja Singh
जिंदगी की किताब
जिंदगी की किताब
Surinder blackpen
मुहब्बत गीत  गाती है करिश्मा आपका है ये
मुहब्बत गीत गाती है करिश्मा आपका है ये
Dr Archana Gupta
रोटी की अहमियत
रोटी की अहमियत
Sudhir srivastava
2975.*पूर्णिका*
2975.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वक़्त का सबक़
वक़्त का सबक़
Shekhar Chandra Mitra
होली
होली
Neelam Sharma
प्रकृति
प्रकृति
MUSKAAN YADAV
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
जीवन जीने का ढंग भाग 2, - रविकेश झा
जीवन जीने का ढंग भाग 2, - रविकेश झा
Ravikesh Jha
अंतर
अंतर
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
मायके से लौटा मन
मायके से लौटा मन
Shweta Soni
आपको सुसाइड नही डिसाइड करना है लोग क्या कह रहे है इस बात को
आपको सुसाइड नही डिसाइड करना है लोग क्या कह रहे है इस बात को
Rj Anand Prajapati
किसी और के आंगन में
किसी और के आंगन में
Chitra Bisht
तुझे स्पर्श न कर पाई
तुझे स्पर्श न कर पाई
Dr fauzia Naseem shad
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आप
ललकार भारद्वाज
शब्द
शब्द
Mandar Gangal
प्यार की पुकार
प्यार की पुकार
Nitin Kulkarni
मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
The_dk_poetry
खेलों का महत्व
खेलों का महत्व
विजय कुमार अग्रवाल
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चैन अमन
चैन अमन
भगवती पारीक 'मनु'
अब क्या खोना
अब क्या खोना
Jai Prakash Srivastav
पहले अपने रूप का,
पहले अपने रूप का,
sushil sarna
विधा -काव्य (हाइकु)
विधा -काव्य (हाइकु)
पूनम दीक्षित
" शब्द "
Dr. Kishan tandon kranti
बस तुम हार मत जाना
बस तुम हार मत जाना
Ayushi Verma
#आज_का_मत
#आज_का_मत
*प्रणय*
कूष्माण्डा
कूष्माण्डा
surenderpal vaidya
ज्ञान
ज्ञान
Rambali Mishra
Loading...