हिदायत
“मयस्सर जो कुर्सी है उसका अब तो
वाजिब इस्तेमाल कर लो ऐ साहिब-ए-सद्र,
शाम सियासत की बदसलूक न हो
अंधेरी रात हुई गर तो ढल जाएगी।।”
“मयस्सर जो कुर्सी है उसका अब तो
वाजिब इस्तेमाल कर लो ऐ साहिब-ए-सद्र,
शाम सियासत की बदसलूक न हो
अंधेरी रात हुई गर तो ढल जाएगी।।”