हिंसा और परिणाम
हिंसा शब्द देखने में जितना छोटा सा लगता है,उसका परिणाम देखने में उतना ही बड़ा और घातक
शायद कल तक जो लोग हिंसा को ही सब कुछ व सर्वप्रथम समझते थे आज उनमें से कुछ लोग अपनी करतूतों पर पछतावा भी कर रहे होंगे और शायद यही प्रकृति का नियम भी है विनाश काले विपरीत बुद्धि लेकिन अब कर भी क्या सकते है अब पछतावे क्या फायदा जब चिड़िया चुग गयी खेत दिल्ली हिंसा के पश्चात इसके परिणाम ने उनकी आँखो के ऊपर चढ़ी धूल की परत को तो हटाया ही होगा और साथ ही कश्मीर की यादों को भी फिर से ताज़ा कर दिया होगा इस बार कश्मीर तो नही यह हाल देश की राजधानी दिल्ली कश्मीर से कुछ कम न थी
इंसान दूसरे इंसान के खून का प्यासा था.मज़हब के नाम पर बलि का कोई बकरा नही था बल्कि इस बार बलि का इंसान मज़हबी कपड़े पहने एक दूसरे का दुश्मन था.
भूपेंद्र रावत
28।02।2020