#हिंदी_मुक्तक-
#हिंदी_मुक्तक-
■ बस, चार-चार पंक्तियां।।
【प्रणय प्रभात】
#संदेश-
“एक तालाब, खेत, पगडण्डी,
और कुछ पेड़ घने रहने दो।
आज बेचैन शहर कहते हैं,
गांव को गांव बने रहने दो।।”
#”संत-
भेद-भाव से ऊपर उठ के,
सबको अपना बना लिया।
जग में सच्चा संत वही बस,
जिसने मन को मना लिया।।”
#किताबें-
“नए कुछ रंग भरना चाहती हैं,
ये ऊबी हैं उबरना चाहती हैं।
अगर फुर्सत मिले तो बैठिएगा,
किताबें बात करना चाहती हैं।।”
#अनिवार्य-
“उम्र बढ़ती है तो बढ़ने दीजिए,
हो सके दिल से सदा बच्चे रहें।
झूठ मत बोलो ये कहने के लिए,
है ज़रूरी आप भी सच्चे रहें।।”
#अच्छी-
“उड़ता तीर लपक ले पच्छी,
बिना डोर के उलझे मच्छी।
ख़ुश हैं मछुआ और शिकारी,
मान रहे हैं किस्मत अच्छी।।”
#संदेश-
“दोस्ती की कोशिशें जारी रखो।
दुश्मनों पे भी नज़र भारी रखो।
ठीक है हमला नहीं भाता हमें,
बच सकें इतनी तो तैयारी रखो।।”
#वक़्त-
“दिल से लेकर दिमाग़ तक पलते,
सारे कीड़ों को मार देता है।
मैंने देखा है अच्छे-अच्छों की,
वक़्त ख़ुद लू उतार देता है।।”
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)