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19 Sep 2024 · 7 min read

*हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान*

हिंदी साहित्य में रामपुर के साहित्यकारों का योगदान
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लेखक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
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1873 में रामपुर के शासक नवाब कल्बे अली खान द्वारा हिंदी और फारसी भाषा के परस्पर संबंधों को मजबूत करने के लिए कार्य आरंभ हुआ। रामपुर निवासी बलदेव दास चौबे की एक पुस्तक प्रकाशित की गई। यह फारसी के विद्वान कवि शेख शादी की पुस्तक ‘करीमा’ का हिंदी में काव्य-अनुवाद था। इसका नाम ‘नीति प्रकाश’ रखा गया। बलदेव दास चौबे ने यह काव्य अनुवाद किया था। पुस्तक के आवरण पर सन 1873 ईसवी अंकित था। इस पर लिखा गया था- ‘बरेली रुहेलखंड लिटरेरी सोसायटी के छापेखाने में छापा गया’। यह भी लिखा था:-“नीति प्रकाश अर्थात फारसी करीमा का उल्था नागरी ब्रज भाषा में जो कि चौबे बलदेव दास माथुर ब्राह्मण कवि ने बनाया।”

बलदेव दास चौबे की वंश परंपरा में ही राधा मोहन चौबे का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है। रियासत के विलीनीकरण से पूर्व आप अंतिम राजकवि रहे। ब्रज भाषा में आपकी घनाक्षरी बहुत लोकप्रिय रही है। आप काव्य के मर्मज्ञ थे। घनाक्षरी की पहली पंक्ति जिस शब्द से समाप्त होती थी, आप उस शब्द से अगली पंक्ति रचने में सिद्धहस्त थे।

महाकवि ग्वाल रामपुर रियासत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कवियों में से रहे। अमीर मीनाई ने 1873 ईसवी में लिखित ‘इंतखाबे यादगार’ में आपका उल्लेख किया है। आप ब्रजभाषा के कवि थे। आपकी लिखित पुस्तकें ‘रसरंग’ और ‘हम्मीर हठ’ हिंदी साहित्य के इतिहास में अद्वितीय हैं। महाकवि ग्वाल का जन्म मथुरा माना जाता है। आप वृंदावन के निवासी रहे। रामपुर राज दरबार में नवाबी शासन के दौरान आपको राज्याश्रय प्राप्त हुआ। जन्म 1793 ईसवी है। मृत्यु 1867 ईसवी को रामपुर में हुई। ब्रज भाषा में लिखित आपके कवित्त गेयता के कारण बहुत लोकप्रिय हुए।

1873 में एक बड़ी साहित्यिक गतिविधि रामपुर के शासक द्वारा प्रसिद्ध कवि अमीर मीनाई के संपादकत्व में ‘इंतखाबे यादगार’ का प्रकाशन रहा। इंतखाबे यादगार में वैसे तो सैकड़ों की संख्या में कवि और शायर हैं लेकिन हिंदी के कुछ कवि उल्लेखनीय रहे।
बलदेव दास चौबे के अतिरिक्त पंडित दत्तराम का नाम भी इसमें शामिल है। यह रामपुर के प्रसिद्ध पंडित दत्तराम शिवालय के संस्थापक थे। अच्छी कविता करते थे।

जौकीराम का नाम भी इंतखाबे यादगार में है। यह फारसी के भी विद्वान थे। इनकी बनवाई हुई धार्मिक स्थली जौकीराम की बगिया रामपुर शहर में प्रसिद्ध है।

स्वतंत्रता के पश्चात 1952 में रामपुर से सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक ‘ज्योति’ का प्रकाशन आरंभ हुआ। इसके संपादक महेंद्र कुलश्रेष्ठ स्वयं में एक श्रेष्ठ लेखक थे। ‘ज्योति’ के संपादकीय खड़ी बोली भाषा पर आपके अधिकार की गवाही देते हैं।

‘ज्योति’ के उपरांत रामपुर से प्रदीप हिंदी साप्ताहिक 26 जनवरी 1955 को प्रकाशित हुआ। इसके संपादक रघुवीर शरण दिवाकर राही थे। इसके संपादकीय चुस्त-दुरुस्त हिंदी में लिखे गए होते थे। ड्राफ्टिंग गजब की थी। दिवाकर राही हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं के परम विद्वान थे। अतः उनकी लेखनी में प्रायः इन दोनों भाषाओं का अनूठा मेल देखने को आता था। दिवाकर राही ने उर्दू शायरी तथा हिंदी कविता दोनों के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। हिंदी गद्य साहित्य को भी आपकी देन अनूठी रही। ‘चिंतन के झरोखे’ आपके विचार प्रधान हिंदी लेखों का संग्रह है। हिंदी -उर्दू काव्य की अनेक पुस्तकें आपकी प्रकाशित हुईं ।

महेंद्र प्रसाद गुप्त ने रामपुर में तीसरा हिंदी साप्ताहिक सहकारी युग 15 अगस्त 1959 को आरंभ किया। 50 वर्ष से अधिक समय तक आपके संपादकीय राजनीतिक सामाजिक और साहित्यिक सभी विषयों पर समाज का मार्गदर्शन करते रहे। पत्रकार के रूप में आपने हिंदी जगत की महान सेवा की। बड़ी संख्या में रामपुर और बाहर के साहित्यकार इस पत्र से जुड़े।

हिंदी साप्ताहिक रामपुर समाचार लगभग 50 वर्षों तक प्रकाशित हुआ। इसके संपादक ओमकार शरण ओम अच्छे कवि थे। स्वयं भी लिखते थे तथा अपने पत्र में स्थानीय कवियों को प्रोत्साहित भी करते थे। आपका एक काव्य संग्रह ‘धड़कन’ 1998 में प्रकाशित हुआ है।

प्रोफेसर ईश्वर शरण सिंघल (मृत्यु 29 मार्च 2014) हिंदी के यशस्वी कहानीकार और उपन्यासकार सिद्ध हुए । आपने कविताएं भी लिखीं जिनकी संख्या कम है, लेकिन कालजई हैं। आपका पहला उपन्यास ‘जीवन के मोड़’ 70 के दशक में प्रकाशित हुआ और राष्ट्रीय पटल पर छा गया। 96 वर्ष की सुदीर्घ आयु में आपने जीवन के अंतिम दो दशकों में भी अभूतपूर्व लेखन कार्य किया। 1998 में “राहें टटोलते पाँव” उपन्यास, 2006 में “एहसास के दायरे” कहानी-संग्रह, 2009 में “अनुभूतियाँ”(संस्मरणात्मक पत्र पोती के नाम) तथा 2010 में “उजाले की ओर” (संस्मरणात्मक पत्र पोते के नाम) आप की पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।

कल्याण कुमार जैन शशि (मृत्यु 9 सितंबर 1988) रामपुर के सुविख्यात आशुकवि रहे। हजारों की संख्या में आपने छंदबद्ध कविताएं लिखी हैं। गीत और मुक्तक आपकी काव्य विधा थी। जिस जमाने में विवाह के अवसर पर सेहरे लिखे और पढ़े जाते थे, तब आपने ढेरों सेहरे भी लिखे थे। ‘कलम’, ‘खराद’ और ‘अजायबघर’ आपकी प्रसिद्ध पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। आपके साहित्य पर कॅंवल भारती और डॉक्टर छोटेलाल शर्मा नागेंद्र ने ‘शशि और उनका काव्य’ नामक पुस्तक प्रकाशित की थी। शशि जी के साहित्यिक योगदान पर पीएचडी भी हुई।

डॉ छोटे लाल शर्मा नागेंद्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी हिंदी साहित्यकार थे। रामपुर में जैन इंटर कॉलेज के हिंदी अध्यापक रहे। कविता, कहानी, समीक्षा तथा वैचारिक लेख आदि विभिन्न विधाओं पर आपने साधिकार अपनी लेखनी चलाई। आपकी कई दर्जन काव्य पुस्तकें प्रकाशित हुईं ।आपके साहित्यिक योगदान पर पीएचडी भी हुई है।

कॅंवल भारती उन लेखकों में से हैं, जिनकी विचारधारा क्रांतिधर्मी कही जा सकती है। आपके लेख और समीक्षाएं ऊंचे दर्जे के चिंतन को दर्शाती हैं। शशि जी की ‘कलम’ पुस्तक को दीर्घ रूप प्रदान करते हुए ‘कलम शतक’ के रूप में आपने प्रकाशित किया।

नरेंद्र स्वरूप विमल कवि के रूप में विख्यात हैं। ‘लोकनायक’ नाम से जयप्रकाश नारायण का जीवन चरित्र आपने काव्य कृति के रूप में लिखकर प्रकाशित किया था।

प्रोफेसर रघुवीर शरण शर्मा डिग्री कॉलेज के प्राचार्य पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद भी साहित्यिक आयोजनों और कवि-कर्म में संलग्न रहे। आपने छुटपुट हास्य कविताएं भी लिखीं, जो बहुत लोकप्रिय हुईं । इसके अलावा विचार प्रधान कविताएं भी आपकी देन हैं ।

लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर सस्वर पाठ करने में निपुण थे। ‘सुरसरि गंगे’ नामक आध्यात्मिक जीवन मूल्यों से ओतप्रोत आपकी काव्य कृति वर्ष 2005 में आपकी मृत्यु के उपरांत प्रकाशित हुई। आप आकाशवाणी रामपुर से भी काव्य पाठ करते थे।

हीरालाल किरण ने आध्यात्मिक कविताओं के साथ-साथ सामाजिक विषयों पर भी कवि के रूप में लेखनी चलाई। ‘गीता गीतों में’ आपकी प्रसिद्ध पुस्तक है। स्वतंत्रता सेनानियों को भी आपने काव्यांजलि अर्पित की, जिसके लिए आपको सदैव याद किया जाता रहेगा।

डॉ चंद्र प्रकाश सक्सेना कुमुद ने कवि के रूप में पर्याप्त ख्याति अर्जित की। कविता, कहानी, लेख और समीक्षा सभी विधाओं में आप निपुण थे। हिंदी के अध्यापक भी रहे। इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य पद से अवकाश ग्रहण किया। चंद्र प्रकाश आर्य कमल संदेश के साथ मिलकर आपने ‘काल दंश’ नामक कहानी संकलन का संपादन किया। कहानी प्रतियोगिता का आयोजन भी आप दोनों ने मिलकर किया था।

राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में डॉक्टर पुत्तू लाल शुक्ल चंद्राकर हिंदी में कविताएं लिखते थे। अपने समय में अच्छे हिंदी विद्वानों में आपकी गणना होती थी।

डॉ शिवा दत्त द्विवेदी डिग्री कॉलेज में आजादी के बाद के प्रारंभिक दशकों में हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे। सुकवि थे। रामपुर में साहित्यिक गोष्ठियों की आपने खूब अध्यक्षता की।

प्रोफेसर ओमराज राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्रोफेसर थे। श्रेष्ठ गजलकार रहे थे। ‘थकी परियॉं’ गजल संग्रह 2005 में आपकी पुस्तक प्रकाशित हुई। पाखंड और ढोंग के आप सख्त खिलाफ थे। वर्ष 2023 की अंतिम तिमाही में आपका अपने निवास काशीपुर (उत्तराखंड) में निधन हो गया।

कुमार संभव रामपुर निवासी श्रेष्ठ कहानीकार थे। आपका कहानी संग्रह ‘गलत मुहावरा’ प्रकाशित होकर अत्यंत चर्चित रहा।

डॉ राधेश्याम शर्मा वासंतेय डिग्री कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक रहे। प्रारंभ में कविताएं लिखीं ।साहित्यिक आयोजनों में भी सक्रिय रहे। बाद में पूरी तरह अध्यात्म में रम गए।

महेश राही के ‘तपस’ उपन्यास के अतिरिक्त कई कहानी संग्रह प्रकाशित हुए। आप कविताएं भी मनोयोग से लिखते थे। आप जनवादी साहित्यिक आयोजनों से भी जुड़े रहे। ज्ञान मंदिर में आप विशेष सक्रिय थे।

डॉ ऋषि कुमार चतुर्वेदी समीक्षक के रूप में अपनी विशेष पहचान बनाने में सफल रहे। हिंदी कहानी पर आपका समीक्षात्मक कार्य राष्ट्रीय ख्याति का कहा जा सकता है। आप राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष रहे।

शिव कुमार चंदन रामपुर के हिंदी गीतकारों में अग्रणी हैं । एक सौ से अधिक ‘सरस्वती वंदना’ लिखकर आपने एक संग्रह प्रकाशित कराया, जो अपने आप में एक मील का पत्थर है। आप ‘पल्लव काव्य मंच’ के संचालक के रूप में साहित्यिक गतिविधियों का समय-समय पर आयोजन करते रहते हैं।

सुरेश अधीर ने ‘रामकृष्ण चरितावली’ नामक आध्यात्मिक काव्य पुस्तक लिखकर प्रकाशित की थी। आप काव्य आयोजनों से भी जुड़े रहे।

जितेंद्र कमल आनंद काव्य गुरु के रूप में जाने जाते हैं। आपने न केवल कविताएं लिखीं अपितु छंद का ज्ञान भी अनेक लोगों को कराया। इस तरह आपकी शिष्य मंडली साहित्य जगत में रामपुर के साथ-साथ बाहर के नगरों और प्रदेशों तक फैली हुई है। ‘हाला, प्याला और मधुशाला’ आपकी प्रमुख कृति है। ‘अखिल भारतीय काव्यधारा’ शीर्षक से आप काव्य गोष्ठियों का आयोजन करते रहते हैं।

राम किशोर वर्मा कुंडलियां और दोहे लिखने में निपुण हैं ।आप जितेंद्र कमल आनंद के साथ साहित्यिक समारोहों का सफलतापूर्वक आयोजन का दायित्व संभालते हैं।

ओंकार सिंह विवेक अच्छे गजलकार हैं। एक ग़ज़ल संग्रह भी आपका प्रकाशित हुआ है। दोहे और कुंडलियां भी खूब मन से लिखते हैं।

नई पीढ़ी के गजलकारों में प्रदीप राजपूत माहिर श्रेष्ठ गजलें लिख रहे हैं।

रागिनी अनमोल गर्ग हिंदी की उभरती हुई कवयित्री हैं । दोहे, कुंडलियां ,घनाक्षरी, गीत, गजल आदि सभी विधाओं में आप मन से लिखती हैं। कवि सम्मेलनों में भागीदारी करती हैं। आपका काव्य पाठ श्रोता पसंद करते हैं।

राजवीर सिंह राज का नाम भी उभरते हुए हिंदी गजलकारों में लिए जाने के योग्य है।

सचिन सार्थक उभरते हुए गीतकार हैं। कवि सम्मेलनों और गोष्ठियों में आपका सस्वर पाठ अभूतपूर्व वातावरण की सृष्टि करता है।

विपिन शर्मा हिंदी के नए कवियों में अपना स्थान बनाते जा रहे हैं। पत्रकार के रूप में भी आप हिंदी जगत को सेवा प्रदान करते हैं।
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संदर्भ
1) रियासत रामपुर के हिंदू कवि एवं शायर: लेखिका डॉक्टर प्रीति अग्रवाल, प्रकाशन वर्ष 2024
2) रामपुर के रत्न, लेखक रवि प्रकाश, प्रकाशन वर्ष 1986

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