हिंदी भाषा का प्राथमिक स्तर
व्याकरण प्राथमिक स्तर पर ही विद्यार्थियों की भाषा को आधार प्रदान करता है किंतु इसके लिए यह अनिवार्य है कि उसका अभ्यास निरंतर बना रहे । षष्ठी स्तर पर विद्यार्थियों को व्याकरण के नियमों का पुनराभ्यास का अवसर मिलता है इस स्तर पर विद्यार्थी भाषा को शुद्ध रूप प्रदान करने में समर्थ हो जाता है ।
किसी भी भाषा को ठीक से बोलने लिखने और पढ़ने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है । अक्सर देखा गया है कि विद्यार्थी मौखिक रूप में तो अपने विचारों को प्रकट कर लेते हैं परंतु जहाँ पर लेखन की बात आती है वहाँ पर अपने विचारों को लिखने में इतनी प्रवीणता नहीं दर्शाते जितनी की मौखिक रूप से । यह सब इसलिए होता है क्योंकि उनको ज़मीनी तौर पर भाषा ,भाषिकीय नियमों और मात्राओं का ज्ञान नहीं होता, चिन्हों के प्रयोग का ज्ञान नहीं होता । प्रारंभिक तौर पर छठी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए निम्नलिखित व्याकरण के नियमों का ज्ञान होना आवश्यक है जिससे की वह शुद्ध वाक्य निर्माण कर सकें ।
1. मात्राओं का ज्ञान
2. मात्राओं की पहचान
ि ी ु ू े ै ो ौ ं ँ ृ
र के रूप
रेफ / पदेन / टवर्ग में र का प्रयोग ट्र
3. शब्दों का शुद्घ लेखन और उच्चारण
4. वर्तनी ज्ञान, शब्दों को सही क्रम में लगाकर शुद्ध वाक्य निर्माण ।
5. वाक्य में ‘कि’और ‘की’ का प्रयोग 6.अनुस्वार और अनुनासिक के मानक रूप
7. विसर्ग एवं आगत स्वर के मानक रूप
8. कारक के परसर्ग
9. नुक्ता वाले वर्ण
क़ ख़ ग़ ज़ फ़
10. विकारी / अविकारी शब्द
11. शब्द भंडार
12. वाक्य रचना
13. विराम चिन्ह , उपसर्ग , प्रत्यय