हिंदी दोहे बिषय- विकार
हिंदी दोहे बिषय- विकार
1
#राना सदा विकार से , रहना तुम कुछ दूर |
यह छलते है यश सदा , मन रहता मजबूर ||
2
मन में यदि विकार हो , देना उन्हें निकाल |
#राना दृड़़ता राखिए , करें न उनका ख्याल ||
3
ज्ञानी ध्यानी संत जन , रखते नहीं विकार |
#राना उनका आचरण , करता सदा निखार ||
4
जब विकार पनपै जरा , #राना करो न ध्यान |
दूर रखो हैवानियत , बने रहो इंसान ||
5
सज्जन का मन देखना , रहता नहीं विकार |
#राना उनके पास में , जीवन का उपचार ||
~~~दिनांक-22-11-2022
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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