हिंदी दोहे-प्राण
#हिंदी_दोहे:- #प्राण
श्वास प्राण का ही दिखे,सर्व प्रथम आधार।
पानी भोजन भी करे,#राना कुछ संचार।।
पंच तत्व से तन बना,जिसमें रहते प्राण।
कमी एक की जब दिखे,#राना पाता त्राण।।
कोमलता ही चाहता,#राना तन का प्राण।
पर अवसर पर वह बने,कर्मों से पाषाण।।
परख सभी महसूस भी,कर लेता है प्राण।
#राना चलता देखता,चलें कहाँ से बाण।।
प्राण सभी के जानते,क्या होते प्रारूप।
कहाँ अँधेरी शाम है,और कहाँ पर धूप।।
एक #हास्य_दोहा-
धना कहे #राना सुनो , प्राण बचा लो आज |
आ रय रिश्तेदार है,संग कराओ काज ||
🤔*** दिनांक-18.6.2024
✍️ – #राजीव_नामदेव “#राना_लिधौरी”
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘#अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
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