हिंदी दिवस पर एक तेवरी
आज हिंदी दिवस पर खास पेशकश
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आज गुरुजी हिंदी दिवस है ,मुझे कुछ बोलना है क्या लिखूँ? थोड़ा सा बताओ प्लीज़ ,एक विद्यार्थी मूँह लटकाकर आगया ।अब क्या करता उम्मीद से आया था इनकार भी क्या करता ?
मैं बोला यार कुछ भी लिखले गद्य या पद्य ,रस्म अदायगी ही तो करनी है बोलना क्या?
नहीं सर फिर भी गद्य लिखूं तो क्या और पद्य लिखूं तो कैसे?
मैं बोला बड़ा आसान है ,गद्य लिखना चाहे तो दो चार किताबें ले ले उनमे से लिख ले ,हिंदी का इतिहास ,या हिंदी का व्याकरण आदि,दो चार लेखकों के कोई भी रटन्त कोटेशनस को अपनी भाषा मे तोड़ मरोड़कर लिख लेना और पढ़ देना इसमें क्या?ज्यादा लम्बा करना हो तो पूरा का पूरा अवतरण उतार लेना कागज़ पर ,हिंदी दिवस क्यो मनाया जाता है ,कब मनाया जाता है। कौन कौन प्रसिद्द लेखक हुए भले ही उन्होंने हिंदी में कम ,उर्दू में ,या बृज अवधी आदि भाषाओं में ही लिखा हो ,यह सब हिंदी ही मानी जायेगी कुछ समझा? थोड़ा बहुत अपना ज्ञान पेल देना ,आज हिंदी की दुर्दशा हो रही है , इंग्लिश का बोलबाला है कोई हिंदी को महत्व नहीं देता ,बच्चो की पढ़ाई से लेकर किटी पार्टियों में बोली जाने वाली इंग्रेज़ी की गिटपिट पर पिल पड़ना आदि आदि।भले ही हर साल हिंदी का आंकड़ा बढ़ रहा हो परन्तु अपन को इससे क्या? अपन को तो हिंदी की दुर्दशा पर आँसूं बहाने का नाटक करना फ़क़त….। दो चार हिंदी का परचम लहराने वाले लेखकों के शेर मुक्तक आदि बोल देना।और कितना बोलेगा इसमें निकल जायेगा आधा से एक घण्टा, वैसे भी श्रोता 5 मिनट ही सुनता है इसके बाद तो अपनी काम की बात को भी बकबक ही समझता है बस उठकर भाग नही सकता सो बैठना उसकी मजबूरी ,और ज्ञान बघारना अपना ज़रूरी,है कि नहीं।।
गुरुजी बात तो आपकी पते की है ,परन्तु मैं तो पद्य में बोलना चाहता हूँ गद्य में नहीं।
अरे यह तो और भी आसान है।कितना बोलेगा आधा घण्टा ,एक घण्टा जो भी ,
पांच पच्चीस कवियों के नाम लिख ले और उनके साथ एक दो शब्द जोड़ता जा , लम्बी कविता हो जाएगी ,वो बोला कैसे ?
अरे जैसे यह हिंदी है ,सूर का बचपन है ,तुलसी की जवानी है , जायसी की वाणी है ऐसी किसी की वाणी ,किसी की कहानी ,किसी की तुलसी किसी की दवाई किसी का लौटा किसी का गिलास किसी को गुलाब किसी को गेंदा ,बिम्बो की कौनसी कमी है ,बस लगाए जाओ और कविता सुनाये जाओ। अरे गुरुजी लोग थोड़ी सुनेंगे? बेटा लोग तो किसी को भी नहीं सुनते, दो चार तेरे साथियो को बोल देना जो वाह वाह करते रहेंगे ,उठकर तो जो बोर होगा वो भी नही जाएगा ,लिखावट में नहीं प्रस्तुति में दम होना चाहिए । जैसे वीर रस वाले पाकिस्तान … बोलने में ही गीगा हर्ट्ज की ऊर्जा लगा देते है न ,बस उसमे ही तालियां बजा देंगे ,भले ही आगे हज़ारो कवियों ने जो बोला उसे ही तोड़ मरोड़कर बोल दो ,जैसे पाकिस्तान तेरी खैर नही ,….। अब इसमें नया क्या? परन्तु रामजी को जितना जोर धनुष उठाने में नही आया उससे ज्यादा जोर एक लाइन बोलने में लगा दो।
बस जय जयकार अपने साथी बैठा ही रखे है अपन ने वो कर देंगे ,हो सके तो उनको बोल देना जो उठकर बीच मे माला भी पहना देंगे मायक पर बोलते हुए ही… और भारत माता की जय , हिंदी हिंदुस्तान हमारी जान जैसे नारे भी…
और अंतिम बात फोटो खिंचवाकर दो चार पत्र पत्रिकाओं में सॉशियल साइड के समूहों में डालना मत भूलना… बस फिर एक का फोटो दूसरे में ,दूसरे का तीसरे में दे देना… उनके बेस पर प्रतिष्ठित साहित्यकार बन जायेगा। हिंदी दिवस भी मन जाएगा तेरा नाम भी चमक जाएगा। वरना हमारे जैसे कलम घसीटो में ही रह जायेगा …। और बरबस ही उसने हमारे चरण छूकर ,मन्द मन्द मुस्कुराते हुए चल दिया।। जाते जाते इतना ज़रूर बोल गया था गुरुजी कल का अखबार ज़रूर पढ़ना।। जय हिंदी जय ही हिदुस्तान।।
कलम घिसाई