हिंदी दिवस— दोहे
(१)सूर तुलसी दे गए, हमें अनेकों ग्रंथ।
आधुनिकता की दौड़ में ,चल पड़े कौन से पंथ।।
हिंदी से नाता जोड़ो, दिखावा करना छोड़ो।
(२) गांव गली हर चौक में ,अंग्रेजी की चाल।
हिंदी छोड़ कर झुका रहे, अपने देश का भाल।।
भाषा यह कितनी सुंदर ,बसा लो मन के अंदर।।
(३) स्वर व्यंजन की साधना, करता मैं दिन-रात।
शत-शत इसको नमन करूं ,होते ही रोज प्रभात।।
हिंदी रग रग में बहती, व्यथाएं अपनी कहती।।
(४) युग आधुनिक आ गया, मुझसे जाते दूर।
परवान पराई चढ़ गई, रही जो मुझको घुर।।
अरे मैं सरल सलोनी, मधुर मधुर सी मेरी बोली।।
*****दुम दार दोहे है ***** राजेश व्यास अनुनय