“हास्य व्यंग”
देश का डेवलपमेंट हो रहा है।
अमीरों का कार्य अर्जेंट हो रहा है।
गरीब साइलेंट हो रहा है।
चमचा अपनी जगह परमानेंट हो रहा है।
कार्यालय में रेस्टोरेंट हो रहा है।
देश को बेचने का एग्रीमेंट हो रहा है।
हर मोड़ पर एक्सीडेंट हो रहा है।
बेटा बाप से इंटेलीजेंट हो रहा है।
रिश्वत से कार्य हैंड टू हैंड हो रहा है।
नेताजी सभा समाप्त करके प्रजेंट हो रहे हैं।
देश का डेवलपमेंट हो रहा है।
श्लोक ” उमंग “