हास्य घनाक्षरी ( करवा चौथ)
हास्य घनाक्षरी ( करवा चौथ)
चंदा से चकोर गाल, भूख प्यास से बेहाल
आई करवा चौथ तो, लगी पुचकारने
सोलह श्रृंगार करे, अंखियों से वार करे
बूँद बूँद जल की वो, लगी है दुत्कारने
खोई खोई शेरनी, सोई सोई मोरनी
टक टक देखे मुझे, लगी वो संवारने
जल्दी जल्दी दिन ढले, देख चंदा रात टले।
आ गई वो शाम से ही, नभ को निहारने।।
सूर्यकांत