हास्य कुंडलिया
आगे पीछे देखते,मियां मनसुखा लाल.
मस्ती में पीते तभी, हो जाते बेहाल.
हो जाते बेहाल,,करें मत यारी उससे.
हैं बेढब इंसान , लड़ाई लड़ते, सबसे .
सवा शेर से रार, मनसुखा करके भागे.
कहीं ठौर ना ठांव,दिखा तब पीछे आगे.
डॉ , प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम