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4 Aug 2022 · 1 min read

हाल ए दिल

****** हाल ए दिल *****
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हाल- ए- दिल तो बेहाल है,
जिंदगी भी इक जंजाल है।

काटने को रहता है दौड़ता,
यह वक्त की तो पड़ताल है।

ग़मज़दा बनकर हूँ घूमता,
बेसुरी सारी सुर-ताल है।

झोंक दी है सारी ताकतें,
किंतु बिगड़े तेवर चाल है।

यार मनसीरत मंझदार है,
चार दीवारी का जाल है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 123 Views
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