हाल-ए-दिल तुमको बताना चाहें।
हाल-ए-दिल तुमको बताना चाहें।
मिल के तुमसे न बिछड़ना चाहें।
राज़-ए-दिल तुमसे छुपाना चाहें।
कह नहीं सकते जो कहना चाहें।
मौत आती है तो क्या ग़म इसका,
तेरी बाहों में ही मरना चाहें।
हम भी अंजाम-ए-जुनूं को आख़िर,
अपने इस दिल को दिखाना चाहें।
– Dr fauzia Naseem shad