हाल ए इश्क
महफ़िल नयी सजाने बैठे।
रोग इश्क का लगाने बैठे।
हाय! कितने यहां पर डूब गए,
हम भी खुद को डूबाने बैठे।।
उसकी नज़रों का कमाल हुआ।
हाल मेरा भी बेहाल हुआ।
जिंदगी एक जवाब बनी,
इश्क जब एक सवाल हुआ।।
हुस्न ए मल्लिका ने जाम पिला दिया।
छू कर दिल को बुरी तरह हिला दिया।
बड़े अरसों से थे इंतजार में यारों,
खुदा ने लाकर उसे मुझसे मिला दिया।।
लबों पर जाम है,
नज़रों से सवाल है।
ऊपर वाले ये कृति,
तेरी बड़ी कमाल है।।
केशुओं से घटा बन,
अधरों से पानी गिरता है।
भीगा तन-दुकुल उसका,
हाय! दिल चिरता है।।
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