हालेदिल कुछ सुनो कुछ सुनाओ कभी।
बज़्म में मेरी् तुम, आ भी् जाओ कभी!
हाले दिल कुछ सुनों कुछ सुनाओ कभी!
दिल के् मंदिर मे्, हरदम उजाला रहे,
दिल से दिल के दिए को, जलाओ कभी!
……. ✍ ‘प्रेमी’
बज़्म में मेरी् तुम, आ भी् जाओ कभी!
हाले दिल कुछ सुनों कुछ सुनाओ कभी!
दिल के् मंदिर मे्, हरदम उजाला रहे,
दिल से दिल के दिए को, जलाओ कभी!
……. ✍ ‘प्रेमी’