हालात
कुर्सी पर मोटा सा चश्मा लागए छेद्दन सिंह पैसो का हिसाब कर रहा था उसके सामने पंकज था जो कई दिनों से दिहाड़ी का काम कर रहा था,पंकज एक पढ़ा लिखा युवक था लेकिन समय की मार ने उसे ये दिन देखने के लिए मजबूर कर दिया था।छेद्दन सिंह उसे पैसे देने में आनाकानी कर रहा था हिसाब में हेर-फेर किए हुए था।वह उसको गाली -गलौज करने पर भी उतारू हो गया।तभी पंकज ने डायल 100 में फोन कर दिया।देखते ही देखते वहाँ पर पुलिस उपस्थित हो गई।पुलिस वाले वहाँ पर आकर छेद्दन सिंह का ही समर्थन करने लगे और पंकज को डाँटना प्रारंभ कर दिया की तुमने ही कोई गलती की होगी,चलो पैसे लो यहाँ से रफूचक्कर हो जाओ।लेकिन पंकज भी बहुत स्वभिमानी व्यक्ति था!उसे यह नागवार गुजरा और उस समय तो शांति के साथ चला गया,लेकिन वह समय का इन्तेज़ार करने लगा,एक दिन छेद्दन सिंह को काम के लिए मजदूर की आवश्यकता हुई तो यहाँ-वहाँ वो सबको ढूंढने लगा लेकिन कोई नही मिला!अंत में छेद्दन को पंकज के पास जाना पड़ा,वह वहाँ जाकर पंकज से कार्य करने के लिए बोलता है!परंतु पंकज भी स्वभिमान के कारण उसे कार्य करने से इंकार कर देता है!
अंत में छेद्दन सिंह को स्वयं वह कार्य करना पड़ता है एवं उसका अहंकार जो पैसो के लिए था वह धरा का धरा रह जाता है।इसलिए कहा जाता है कि व्यक्ति को कभी भी अपने पैसों का अहम नही करना चाहिए।अपने दिल के अंदर इंसानियत को जगा कर रखना चाहिए!
प्रत्येक इंसान को चाहे वो अमीर हो या गरीब सबको मनुष्य समझना चाहिए!
क्यों की मनुष्य का कल्याण मनुष्य की भलाई करने में होती है!
-आकिब जावेद
पता-बिसंडा,जिला-बाँदा,उत्तर प्रदेश
संपर्क;9506824464