हालात ऎ मौसम
इन हालातो को दोष क्यों दे हम
हालातो को बदलने में देर नहीं लगती साहेब
रही मुस्कान की बात ऎ जाने दिल मुस्कुराना तो तुम ही से सीखा है ।
घूंघट की आड़ में क्यों चेहरे को छुपा कर बैठे हो
प्यार है तो इजहार करो क्यों इन हालातों को अपने गले से लगा कर बैठे हो ।