हाय रे राष्ट्रनिर्माता शिक्षक !
माननीयों की
संपत्ति/सुख/सुविधाएँ
करोड़ों में हैं, अरबों में हैं,
पर उन माननीयों को बनानेवाले
राष्ट्रनिर्माता शिक्षक
अभिशप्त हैं,
उनके ही कारण !
माननीयों की
संपत्ति/सुख/सुविधाएँ
करोड़ों में हैं, अरबों में हैं,
पर उन माननीयों को बनानेवाले
राष्ट्रनिर्माता शिक्षक
अभिशप्त हैं,
उनके ही कारण !