“हाय पैसा”
जो औरत सिर्फ रुपयों को महत्व देती हो वह पति का प्यार नहीं पा सकती। आजकल हर कोई डिग्री लिए फालतू बैठा है , अतिमहत्वाकांछा हर व्यक्ति के मन में घर कर गई है।
आजकल की पेट भरना सिखाने वाली पढ़ाई ने पति-पत्नी के रिश्तों को काफी हद तक कुचल दिया है। रिश्तों में आपसी कटुता, मनमुटाव, घृणा का आलम है।
पति यदि सुखपूर्वक परिवार चला रहा है, वह भले ही धनवान न हो ऐसे में धन की लिप्सा में पत्नी भी कमाने लगे, सुबह से शाम तक पत्नी दुकान, ऑफिस, में बैठेगी तो वह अन्नपूर्णा का दर्ज़ा नहीं पा सकती। पति जब थका-हारा आये तो वह घर में दो शब्द प्यार के और चाय पानी चाहता हो लेकिन उसे सारे काम हाथ से करना पड़ें यहाँ तक की सुबह का झाड़ू पौंछा तक तो उस पति के लिए वैवाहिक जीवन एक श्राप बनकर रह जाता है। ऐसे परिवार बिखर जाते हैं ।ऐसे में ज्यादा दिनों तक पति-पत्नी में मनमुटाव रहे तो घर की रौनक खत्म हो जाएगी। बीमारियां दबोच लेंगी। बच्चे भी एकाकी हो जाएंगे। बच्चों की परवरिश के लिए माता-पिता दोनों का प्रेम आवश्यक है।
पति यदि सुखपूर्वक परिवार चला रहा हो तो पत्नी को बच्चों की परवरिश तथा घर गृहस्थी के काम संभालना चाहिए नहीं तो वह घर ,घर नहीं क्रोध, ईर्ष्या, असमृद्धि एवं स्वार्थ का घर बन जाता है। (लेखक के निजि विचार)