हायकू
बूंदे गिरती,
बनकर ज्यौं मोती,
धरा प्रसन्न!!….
मधुर स्वर,
मधुकर की गूंज,
पल्लव हर्षे!!…..
ओस की बूंद,
आनंदित पादप,
मिली खुशियां!!….
सींचते जल,
तरू खींचते मन,
प्रकृति नमः!!…..
तरू तरसा,
अहा! जल बरसा,
खिली मुस्कान!!
संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर ( राज.)