Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Dec 2022 · 1 min read

हायकू

दर्शन देना,
भेटशील कधी तू _
आतुर डोळे.

Language: Marathi
172 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
Ranjeet kumar patre
सफलता का लक्ष्य
सफलता का लक्ष्य
Paras Nath Jha
गालगागा गालगागा गालगागा
गालगागा गालगागा गालगागा
Neelam Sharma
हर पल तलाशती रहती है नज़र,
हर पल तलाशती रहती है नज़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"आँखें "
Dr. Kishan tandon kranti
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
VINOD CHAUHAN
राह दिखा दो मेरे भगवन
राह दिखा दो मेरे भगवन
Buddha Prakash
तरक्की से तकलीफ
तरक्की से तकलीफ
शेखर सिंह
2693.*पूर्णिका*
2693.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दुःख पहाड़ जैसे हों
दुःख पहाड़ जैसे हों
Sonam Puneet Dubey
आवो पधारो घर मेरे गणपति
आवो पधारो घर मेरे गणपति
gurudeenverma198
संबंध क्या
संबंध क्या
Shweta Soni
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Praveen Sain
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
Anand Kumar
आशिकी
आशिकी
साहिल
"एक नया सवेरा होगा"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्रकृति का गुलदस्ता
प्रकृति का गुलदस्ता
Madhu Shah
*मोलभाव से बाजारूपन, रिश्तों में भी आया है (हिंदी गजल)*
*मोलभाव से बाजारूपन, रिश्तों में भी आया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"किस बात का गुमान"
Ekta chitrangini
*भारत*
*भारत*
सुनीलानंद महंत
होली कान्हा संग
होली कान्हा संग
Kanchan Khanna
खुशबू चमन की।
खुशबू चमन की।
Taj Mohammad
तुलना करके, दु:ख क्यों पाले
तुलना करके, दु:ख क्यों पाले
Dhirendra Singh
■ और एक दिन ■
■ और एक दिन ■
*प्रणय प्रभात*
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
अपने होने की
अपने होने की
Dr fauzia Naseem shad
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
छूटा उसका हाथ
छूटा उसका हाथ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
लड़को की समस्या को व्यक्त किया गया है। समाज में यह प्रचलन है
पूर्वार्थ
Loading...