हादसे,चेहरे के मिटा निशान देते है
ग़ज़ल
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हादसे,चेहरे के मिटा निशान देते है
याद कैसे करे मिटा पहचान देते है।
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अजनबी लोग आते है, हाल पूछने,
वो नही आते जो कहते जान देते है।
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मौत पर मेरी शोर मचाने आऐगें वो,
ज़िस्त में जो खड़ा कर तुफान देते है।
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अब भरोसा ये किस पे करे बताओ,
लोग कैसे, अपना डुबो इमान देते है।
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पास में तुम रखा करो पता, अपना,
खोज लेगें जरुर हमे जो ध्यान देते है।
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“जैदि” देखो जरा यहाँ है कौन कैसे,
लोग जाते है बदल,जो जुबान देते है।
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शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”