हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर।
अदा से तुम शर्मा रही हो।।
छुपाकर चेहरा तुम चिलमन से।
हाल दिल का बता रही हो।।
हाथों से करके——————।।
एक पल को हमसे नजरें मिलाकर।
मुस्कराती हो तुम, आँचल उड़ाकर।।
देखती हो हमको तुम, चिलमन से।
मस्ती में जुल्फें अपनी लहरा रही हो।।
हाथों से करके——————।।
फूलों सा महका हुआ, तेरा बदन है।
शीशे की तरहां पवित्र, तेरा मन है।।
गजगामिनी सी इस चाल से तुम।
मदहोश हमको कर रही हो।।
हाथों से करके——————।।
रोशनी बिखेरता है रूप तुम्हारा।
कमल सा खिलता है चेहरा तुम्हारा।।
उड़ाकर दुपट्टा हमें देख करके।
आवाज दिल को तुम दे रही हो।।
हाथों से करके——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)