” हाथों सब छूटा जाए ” !!
गीत
मौत बाँटते दूजों को जो ,
परछाई से डर जाएँ !
निष्ठुर मौत हँसा करती है ,
कोई चंगुल फँस जाए !!
एक दूजे पर रौब जमाते ,
हलका है कोई भारी !
सब अवसर को ताक रहे हैं ,
कब आए किसकी बारी !
जिसके हाथों लगी जीत है ,
इठलाये औ बल खाए !!
किसके दिन कब पूरे होंगे ,
सभी लिफाफे बंद हैं !
नीरस जीवन मिले किसी को ,
किसे मिले मकरंद है !
पल भर में ही सिमटे दुनिया ,
हाथों सब छूटा जाए !!
कोई जहर बाँटता हाथों ,
कोई मारे दंश है !
बगुले घात लगाये बैठे ,
मानो जैसे हंस हैं !
बली दबोचे निर्बल को बस ,
कातर स्वर निकले हाए !!
गले मौत की घँटी बाजे ,
मन में छिड़ता द्वंद है !
किया गलत आँखों के आगे ,
नज़रें होती बंद हैं !
भूले रब को याद करें तब ,
मंद मंद वह मुस्काए !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )