हाथों में हाथ लेकर मिलिए ज़रा
हाथों में हाथ लेकर मिलिए ज़रा
गुजर जाते हो क्यों हवा की तरह
कुछ देर तो रुक कर मिलिए ज़रा
सूखी सूखी सी है इस दिल की ज़मीं
प्यार की बरसात लेकर मिलिए ज़रा
खामोशी तुम्हारी अब गवारा नहीं
शिकवे ,सवालात ही लेकर मिलिए ज़रा
हिमांशु Kulshrestha