हाडौती में लेख
एक दन एक कलम घसीटो मल ग्यो। अब मूं ठहरयो मास्टर तो मन देखता ही उंक करम प सळ पड़ग्यो।
पास आर बोल्यो ।क्यू र मास्टर आजकाल थ्ह पढाओ काई छो छोरा छोरया न ।फूल। अर तनखा कतनी सारी। थान्ह शरम तो नाव न।
मूं बोल्यो यार दाढ़ी बणा बा आयो छू ।जीव मत खाओ। थ भी कटिंग कराओ अर घरन जाओ। और काई खूं। पण वो खान्को पिछो छोड़ बालों छो। पाछ ही पड़ ग्यो। मूं भी झुन्झ्या खार बोल्यो न पढ़ावा तो न पढ़ावा थ भी तनखा मत दयों यार। अपणा आप पढ़ाबा लाग जाव्न्गा।
भाया म्ह कुण होव छा थांकी तनखा रोक बाळा वा तो सरकार ही रोक सक छ।
तो फेर म्ह पढ़व छा क न पढ़ावा या भी सरकार ही पूछ लेगी ।तू क्यूँ पटल बण छ। अर छोरा छोरी तो म्हाका ही पढ़ छ सरकार का थोड़ी पढ़ छ। या बात तो सही छ यार थारी ।तो बता कसी क्लास म पढ़ छ। दसवीं म। नाम बता ननकी राम। यार यो नाम तो म्हारा स्कुल म ही कोइन। जे वो तो कला विद्या निकेतन म पढ़ छ। अच्छा अच्छा तो पहली पढ़तो होगो सरकारी स्कूल म। न भाया न वो तो नर्सरी सू ही प्राइवेट म पढयो छ। तो फेर छोरी पढ़ी होव्गी सरकारी म। तो फेर काई छोरा छोरी की माई क ताई न प्ढायो क मास्टर न। अरे यार मास्टर तू तो उन्धो बोल छ यार। अरे यार बुरो मत मान भाई उन्धो न बोल रयों । थारी बात कोई न जणा जणा क ही मास्टर दीखता ही बादळा को दर्द उठ छ। यो दर्द वांक ही उठ छ जिंका छोरा छोरी कदी सरकारी म पढ्या ही कोइन। जस्या कोई पढ़ती बगता मास्टर न मारया होगा जे सालती होव। अब ज्यंका स्कूल म पढ़ छ न व् तो जाण छ। क मास्टर गुरूजी न केवल मास्टर काई काई काण क्लास म नाव। उंक कत ना कसम छ। कतना दन स्कुल खुल छ कतना दन छोरो ना व। कतना दन मास्टर क ताई सरकार नरेगा को मजदूर मान र जोत छ। मतदाता सूची ~तहसील पटवारी को काम। पोल्या की दवाई ~मेडिकल को काम।
बिल्डिंग बणाबो~ पी डब्लू डी को काम।
पौषा हार पनचायती शौचालय ~पंचायती
रेली काढबो मेला म ।
जाति प्रमाण ~ आय प्रमाण जन्म परमाण।
चुनाव खेल पुस्तकालय अस्या चालीस काम छ भाया। पण अस्यो एक विभाग कोइन जिन्को काम बना मास्टर क हो जातो व्। अर कोई और कोई दूसरा महकमा का आर स्कुल म पढ़ा जाता हो। पण कोई की मजाल जे सरकार को जीव खा जाव। या और सु पुछले क थान्को काम थ मास्टर सूं क्यों कराओ। अर और तो छोडो गुरूजी कह बो तो दूर कम तनखा ले बाला तहसीलदार ओण भी ज्यादा तनखा ले बाला प्रिंसिपल क आड़ी आंख्या काढ छ। तो भाया म्ह गुरु कोई न ।मास्टर छा ।कसया भी ताला म लाग बाळी चाबी। गुरु कोई न जिंक एक ही तालों होव पढाई। अरे यार मास्टर मु तो उस्या ही क रयो छो।। क छोरा छोरया न काई ना व्। तू तो….।बस बोल दी न बना जाण्या पटलाई न करणी। जा बठ कुर्सी प नम्बर आग्यो कटिंग को।
******* मधु गौतम