Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2022 · 1 min read

हाजिरी बाबू (लघु कथा)

हाजिरी बाबू (लघु कथा)
********************
“क्यों भाई ! सुना है अब दफ्तर में हाजिरी लेने के लिए एक हाजिरी बाबू की नियुक्ति की जाएगी ।”
“यह तो बड़ी अजीब – सी बात हो गई ?”
” लेकिन सच यही है । हाजरी बाबू का काम होगा कि दफ्तर में जितने कर्मचारी हैं, सुबह-सुबह सब की फोटो खींच कर सरकार को भेजना और उसके बाद हर एक घंटे के बाद इसी क्रम को दोहराते हुए जब तक दफ्तर बंद नहीं हो जाता, हाजिरी बाबू फोटो खींचकर भेजते रहेंगे।”
” लेकिन फिर हमारी हाजरी का क्या होगा ?क्या हमें रोजाना आना पड़ेगा?” अब यह स्वर रुँआसा हो गया था।
” अरे नहीं ! जैसे मशीन खराब पड़ी है, वैसे ही हाजिरी बाबू का भी कोई न कोई इंतजाम कर दिया जाएगा ।”
“लेकिन यह कैसे हो सकता है ? जब फोटो खिंचेगा तो हमें तो बैठना पड़ेगा ।”
“अरे ऐसा नहीं है । इकट्ठी फोटो एक महीने की सब लोग खिंचवा कर रख लेंगे। ड्रेस बदल- बदल कर फोटो खिंचवाएंगे और पूरे महीने चलती रहेगी।”
” वाह भाई वाह ! क्या दिमाग पाया है। यानी न दफ्तर टाइम से आना पड़ेगा और न टाइम पर जाना पड़ेगा और न ही रोज आना पड़ेगा। छुट्टी में भी हाजिरी लगेगी।.. मगर हाजिरी बाबू क्या इस बात को मान लेंगे ?” अब स्वर में चिंता प्रगट हो रही थी ।
” क्यों नहीं मानेंगे ? वह भी तो हमारे तुम्हारे जैसे ही होंगे।”
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश) मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
335 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

चलो हम तो खुश नहीं है तो ना सही।
चलो हम तो खुश नहीं है तो ना सही।
Annu Gurjar
सीमायें
सीमायें
Shashi Mahajan
राष्ट्र की अभिमान हिंदी
राष्ट्र की अभिमान हिंदी
navneet kamal
चुनिंदा लघुकथाएँ
चुनिंदा लघुकथाएँ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
15. गिरेबान
15. गिरेबान
Rajeev Dutta
शब की रातों में जब चाँद पर तारे हो जाते हैं,
शब की रातों में जब चाँद पर तारे हो जाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शून्य से अनंत
शून्य से अनंत
The_dk_poetry
चाय की आदत
चाय की आदत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
Manoj Mahato
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेई
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेई
Neerja Sharma
जिंदगी है एक खेल
जिंदगी है एक खेल
Shutisha Rajput
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
दुविधा
दुविधा
उमा झा
मुक्तक... हंसगति छन्द
मुक्तक... हंसगति छन्द
डॉ.सीमा अग्रवाल
चंदा मामा कितनी दूर है
चंदा मामा कितनी दूर है
Sudhir srivastava
काँटा ...
काँटा ...
sushil sarna
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
कृष्णकांत गुर्जर
3731.💐 *पूर्णिका* 💐
3731.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🙅चाहत🙅
🙅चाहत🙅
*प्रणय*
2122  2122  2122  212
2122 2122 2122 212
Neelofar Khan
मेहनत का फल (शिक्षाप्रद कहानी)
मेहनत का फल (शिक्षाप्रद कहानी)
AMRESH KUMAR VERMA
हिंदी दोहे -कदंब
हिंदी दोहे -कदंब
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सावन की है ये पंचमी शुभयोग बना है,
सावन की है ये पंचमी शुभयोग बना है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
रावण तो अब भी ज़िन्दा है !
रावण तो अब भी ज़िन्दा है !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
"जादू-टोना"
Dr. Kishan tandon kranti
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम आओ एक बार
तुम आओ एक बार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
ज़िंदगी की उलझन;
ज़िंदगी की उलझन;
शोभा कुमारी
ध्वनि प्रतिध्वनि
ध्वनि प्रतिध्वनि
Juhi Grover
धरा दिवाकर चंद्रमा
धरा दिवाकर चंद्रमा
RAMESH SHARMA
Loading...