हाईकू =पिता
===
रक्त को श्वेद
अर्थोपार्जन हेतु
बनाये पिता।
मन मृदुल ।
वचन से कठोर।
शासक पिता।
संस्कार देने
बक –झक करेते।
अच्छे हैं पिता।
चाहे दरिद्र।
वट वृक्ष बनने को
आतुर पिता।
भाव से शुन्य।
दाँव से विजयंत
पुत्र को पिता।
रक्षा,सुरक्षा।
आग,पानी बेमानी।
कूदते पिता।
विश्व दिखाने।
कंधे को उचकाये।
हमारे पिता।
त्रुटियों पर।
लेते भृकुटि तान।
तनते पिता।
नदी सा तरल।
कोमल व सरल।
होते पिता।
सन्तान हेतु।
कर ले विषपान।
ऐसे हैं पिता।
पथ पे चलें।
अनुपम मित्र सा।
केवल पिता।
देखता मुझे।
पितृत्व भाव से।
पिता तो वही।
माँ कोमलता।
जीवन के ये गुरु।
पिता दृढ़ता।
सत्य और झूठ।
सम्मिश्रित जीवन।
प्रतिक पिता।
पिता कर्म है।
संघर्ष का व प्रण।
धर्म व माँ।
जीवन भर।
जीवन को बाँचते।
जीवनी पिता।
उँच व नीच
खुरदुरे भाव से
कहते पिता।
पथ ही पथ
अनुशासित लक्ष्य
पूज्य हों पिता।
लक्ष्य की ओर
शिला पर पदचिन्ह।
पाथेय पिता।
आँखें तरेरे।
करे पश्चाताप भी।
दृढ़ सा पिता।
मासूम पुत्र।
भविष्य से डरा डरा।
परिपक्व पिता।
शिशु के लिए
पदचिन्ह छोड़े जो
वह है सुन्दर पिता।
पुत्र तो पुत्र
सुन्दर असुन्दर
ना देखे पिता।
==================