** हद हो गई तेरे इंकार की **
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह "reading between the lines" लिखा है
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
जीवन सुंदर खेल है, प्रेम लिए तू खेल।
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
💐प्रेम कौतुक-495💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
तुमसे मोहब्बत हमको नहीं क्यों
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
फिलिस्तीन इजराइल युद्ध
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
एक ही तो, निशा बचा है,
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बड़ी ही शुभ घड़ी आयी, अवध के भाग जागे हैं।
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
बात तो बहुत कुछ कहा इस जुबान ने।
धन से कब होता जुड़ा ,खुशियों भरा स्वभाव(कुंडलिया)
ये सफर काटे से नहीं काटता