हाइकु
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परिश्रम से
डर किस बात का,
ईमानदार।
मजदूर हू्ँ
मेहनत करता,
संकोच कैसा?
जी चुराओगे
या श्रम ही करोगे,
फैसला करो।
श्रमशीलता
खुशियों का आधार,
पक्का करता।
राम ही जाने
कब तक बचोगे,
मेहनत से।
परिश्रमी का
सब करें इज्ज़त,
तू भी तो कर।
मीठा फल भी
मेहनत से दूरी,
कतई नहीं।