Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
मनोज बाथरे
4 Followers
Follow
Report this post
21 Oct 2020 · 1 min read
हाइकु
मन हताश
फिर भी मुझे आश
नहीं निराश।।
मेरी हताशा
निकालती है आशा
जगती आशा।।
Language:
Hindi
Tag:
हाइकु
Like
Share
459 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
Atul "Krishn"
*भालू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
एक सच और सोच
Neeraj Agarwal
अब के मौसम न खिलाएगा फूल
Shweta Soni
त्योहार का आनंद
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
जय अयोध्या धाम की
Arvind trivedi
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
Sonam Puneet Dubey
वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वाणी में शालीनता ,
sushil sarna
मौत पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
"दावतें" छोड़ चुके हैं,
*प्रणय*
3320.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी
Adha Deshwal
किसान
Dp Gangwar
ग़ज़ल
Neelofar Khan
कौन उठाये मेरी नाकामयाबी का जिम्मा..!!
Ravi Betulwala
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं क्या जानूं क्या होता है किसी एक के प्यार में
Manoj Mahato
“HUMILITY FORGIVES SEVEN MISTAKES “
DrLakshman Jha Parimal
मेरी एक बार साहेब को मौत के कुएं में मोटरसाइकिल
शेखर सिंह
हिंदी दोहे- कलंक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हर जमीं का आसमां होता है।
Taj Mohammad
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
"बात पते की"
Dr. Kishan tandon kranti
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
Suryakant Dwivedi
मन, तुम्हें समझना होगा
Seema gupta,Alwar
मैं रुक गया जो राह में तो मंजिल की गलती क्या?
पूर्वार्थ
ये मन रंगीन से बिल्कुल सफेद हो गया।
Dr. ADITYA BHARTI
Loading...