हाइकु
हाइकु 14
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विदा बेटी को
करते भरे मन,
फिर भी खुश।
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अनमोल है
विदाई जब होती,
नयन भीगे।
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बहते आँसू
रोके नहीं रुकते,
विवश सब।
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भर्राये स्वर
बोल नहीं निकले,
आशीष तो दो।
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जुग जुग जी
ससुराल में लाडो,
भूल ही जाना।
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विदाई बेला
सब भावुक होते,
कंठ भी रूँधे।
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■सुधीर श्रीवास्तव