हाइकु
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आग सी गर्मी
साथ तुम्हारा ऐसा
छांव हो तुम।
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साख के पत्ते
की तरह मैं नहीं
जड़ जैसा हूँ।
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तुम्हें नहीं है
इश्क ये माना मैंने
मुझे है पर।
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बूंद के लिए
तरसते रहे हैं
सागर मिला।
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हवाएँ कहें
हमें भी साथ लेलो
दुआओं में ही।
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मौसम जैसा
मिजाज है तुम्हारा
बदलते हो।
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यकीन मुझे
आओगे वापस ही
मेरे ही लिए।
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कुछ ऐसा हो
साथ रहें हम भी
जिंदगी भर।
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