हाइकु
मेरे सात हाइकु
( १ )
मानसिकता
दर्शाती उदारता
हुआ विकास !
( २ )
नीच विचार
दिखाता संकीर्णता
रूका विस्तार !
( ३ )
परिवर्तन
है विधि का विधान
नारी उत्थान !
( ४ )
आज की नारी
बदली है तेवर
छुटे जेवर !
( ५ )
बनो स्वछन्द
बहुत है आनंद
जैसे विहग !
( ६ )
मिला है मान
पुरूषों के समान
ऊँची उड़ान !
( ७ )
जहाँ धरा पर
दिखते चाँद चार
हँसती नार !
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दिने एल० “जैहिंद”
22. 03. 2017