हाइकु -5 | मोहित नेगी मुंतज़िर
चाय का प्याला
थकान को पी जाता
जादूगर आला।
किसका डर
आंखें रोती रहती
जीवन भर।
आओगे कब
ये जीवन की बेला
ढलेगी जब।
चल दिखाऊँ
असली जीवन से
तुझे मिलाऊं।
चाय का प्याला
थकान को पी जाता
जादूगर आला।
किसका डर
आंखें रोती रहती
जीवन भर।
आओगे कब
ये जीवन की बेला
ढलेगी जब।
चल दिखाऊँ
असली जीवन से
तुझे मिलाऊं।