हाइकु -4 | मोहित नेगी मुंतज़िर
मां का आँचल
बहती सरिता का
शीतल जल।
रक्षाबंधन
प्यार के धागों पर
आया जीवन।
अपना घर
सपना गरीब का
आंखों पर।
स्वागत तेरा
हिमवंत देश में
गॉंव है मेरा।
खूब सुहाती
गर्मी के मौसम में
पिंडर घाटी।
मां का आँचल
बहती सरिता का
शीतल जल।
रक्षाबंधन
प्यार के धागों पर
आया जीवन।
अपना घर
सपना गरीब का
आंखों पर।
स्वागत तेरा
हिमवंत देश में
गॉंव है मेरा।
खूब सुहाती
गर्मी के मौसम में
पिंडर घाटी।